हम - तुम एक हो जाते तो क्या बात होती
तेरा दर्द मैं सह पाता तो क्या बात होती
तेरे आंसू मेरी आंख से आते क्या बात होती
तेरा गम मैं समेट पाता तो क्या बात होती
तेरी परछाई मैं बन पाता तो क्या बात होती
मेरी खुशनसीबी तुम्हें मिल जाती तो क्या बात होती
तुम्हारा प्यार मुझे मिल जाता तो क्या बात होती
मेरा सुख-चैन तुम को मिल जाता तो क्या बात होती
मेरी मुस्कराहट तुम को मिल जाती तो क्या बात होती
तेरे दामन में ख़ुशियाँ मैं भर पाता तो क्या बात होती
दुनिया की बुरी नज़र से बचा पाता तो क्या बात होती
-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
(पुराने ब्लाग से ली गई रचना)
आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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