Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

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शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

रक्षा बंधन



~ रक्षा बंधन ~

देव - दानवो के युद्ध मे जब दानव हावी थे 
इंद्राणी ने इन्द्र को तब पवित्र धागा बांधा था  
इस धागे की शक्ति से इन्द्र ने विजय पायी थी 
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था 

विष्णु ने जब राजा बलि से संसार मांग लिया था  
बलि की भक्ति ने विष्णु को तब अपने संग रोका था 
लक्ष्मी ने बांध इसे बलि को विष्णु को तब पाया था 
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था 

शिशुपाल का वध जब कृष्ण ने किया था 
कृष्ण की तर्जनी से बहता खून का रेला था
द्रौपदी ने चीर बांध कृष्ण के खून को रोका था 
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था  

रानी कर्णवती ने हुमायूँ को यह राखी भेजी थी 
हुमायूँ ने फिर बहादुरशाह के संग की लड़ाई थी 
सिकंदर की भार्या ने भी पुरू को राखी भेजी थी 
इस धागे ने ही तब सिकंदर की जान बचाई थी  

केवल बहन भाई के रिश्ते का धोतक नही है 
केवल लेन देन का रिश्ता इसकी सोच नही है 
एक दूजे की रक्षा करने का यह मज़बूत धागा है
स्नेह और समर्पण का यह धागा तो बस गवाह है  

ब्राह्मण इसे यजमान को बांध आपति से बचाता है
सीमा पर सैनिकों का भी ये धागा मनोबल बढ़ाता है 
मित्रो मे भी यह धागा स्नेह और विश्वास जगाता है  
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह शुभ पल आता है  

सभी बड़थ्वाल बंधुओ को  रक्षाबंधन की बधाई एवं शुभकामनायें!!!

-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 


आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

हमारा उद्देश्य

When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.