Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2009

तुम जो मिल गये हो




तुम मिले तो मेरे हालात बदलते चले गये
यूँ मिलते जुलते अहसास बदलते चले गये,

तन्हाई को मेरी हमसफ़र तुम सा मिल गया
जीने को मुझे सहारा अब तुम सा मिल गया

तुम्हारी झुकी पलकों के आशिक हम बन गये
चलते चलते इस राह मे हमराही हम बन गये

रात की खामोशी हो या हो दिन कि चंचलता
प्यार का अशियाना तुम्हारी बातो से है बनता

लेकर हाथो में हाथ हर पल रहता है तुम्हारा साथ
बन जाती है बिगडी बात जब रहती हो तुम साथ

-प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
(पुरानी रचना दुसरे ब्लाग से)


आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

हमारा उद्देश्य

When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.