Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

शुक्रवार, 19 जून 2009

मै नाच रही हूँ……




नाचने दो आज मुझे दिल खोल कर
नाच रही हूँ अपने मे मगन हो कर

नाच रही हूँ तन से और मन से
खुशी को दिखाये दुखो को छिपाये

आज खुशी से पैर जमीं पर नही मेरे
नाचती हूँ तो गम नही चेहरे पर तब मेरे

चेहरा दिखता है भाव दिखते है इसलिये खुश हूँ
अपनो को खुश देख अपने दुख छोड़ मै नाचती हूँ

नाचने दो आज मुझे दिल खोल कर
नाच रही हूँ अपने मे मगन हो कर



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शुक्रवार, 5 जून 2009

तक़दीर का सारा खेल


कोई तोड़ता पत्थर,
कोई घिसता चन्दन,
कोई बने संत यहाँ,
कोई है यहाँ शैतान
जितने दिखते रंग हमें,
उतने ही दिखते रूप यहाँ
प्रेम - द्वेष के बनते मंजर,
कोई चलाये इन पर खंजर
कोई कहे पैसा हाथ का मैल,
मै कहूँ तक़दीर का सारा खेल





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गुरुवार, 4 जून 2009

खिली जब कली



बीज से पौधा, पौधे में कली
कली से फ़ूल, रुप रग निखराया।

मैने देखा, उसने देखा
सबने देखा, फ़िर उसको सरहाया।

उसके रंग, उसके ढग
उसकी इज़्ज़त, सबने ही पहचानी

खुशबू जब फ़ैली, तब हुई नियत मैली
फ़िर किसी ने अलग किया, किसी ने धूमिल किया

कली और फ़ूल , की यही कहानी
मेरी तेरी जुबानी और सबकी जिंदगानी।


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हमारा उद्देश्य

When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.