Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

गुरुवार, 4 जून 2009

खिली जब कली



बीज से पौधा, पौधे में कली
कली से फ़ूल, रुप रग निखराया।

मैने देखा, उसने देखा
सबने देखा, फ़िर उसको सरहाया।

उसके रंग, उसके ढग
उसकी इज़्ज़त, सबने ही पहचानी

खुशबू जब फ़ैली, तब हुई नियत मैली
फ़िर किसी ने अलग किया, किसी ने धूमिल किया

कली और फ़ूल , की यही कहानी
मेरी तेरी जुबानी और सबकी जिंदगानी।


आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

हमारा उद्देश्य

When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.