तुम मिले तो मेरे हालात बदलते चले गये
यूँ मिलते जुलते अहसास बदलते चले गये,
तन्हाई को मेरी हमसफ़र तुम सा मिल गया
जीने को मुझे सहारा अब तुम सा मिल गया
तुम्हारी झुकी पलकों के आशिक हम बन गये
चलते चलते इस राह मे हमराही हम बन गये
रात की खामोशी हो या हो दिन कि चंचलता
प्यार का अशियाना तुम्हारी बातो से है बनता
लेकर हाथो में हाथ हर पल रहता है तुम्हारा साथ
बन जाती है बिगडी बात जब रहती हो तुम साथ
-प्रतिबिम्ब बडथ्वाल
(पुरानी रचना दुसरे ब्लाग से)
आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
रात की खामोशी हो या हो दिन कि चंचलता
जवाब देंहटाएंप्यार का अशियाना तुम्हारी बातो से है बनता
behad khubsurat waah
तुम मिले तो मेरे हालात बदलते चले गये
जवाब देंहटाएंयूँ मिलते जुलते अहसास बदलते चले गये,
बेशक हालात बदलते रहें ...अहसास ना बदलें शुभकामनायें ..!!
वाणी जी आपका कहना सही है लेकिन यंहा तात्पर्य ये है कि मिलने के बाद ( मिलने जुलने से) जो अहसास पह्ले थे वे बदलते चले गये जिनमे निखार आने लगा है..
जवाब देंहटाएंमिलने के बाद ही सामने आती है असलियत। जय हो।
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