Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

गुरुवार, 6 जून 2013

डॉ माधुरी बड़थ्वाल और लोक संगीत - एक परिचय





ज मुझे आप मित्रो से डॉ माधुरी बड़थ्वाल का परिचय करवाते हुये हर्ष हो रहा है।

ढाई वर्ष की उम्र से संगीत, सुरों और नृत्य से प्रेम करनी वाली छोटी बालिका आज किसी परिचय की मोहताज तो नही लेकिन मेरा प्रयास इस नाम को उन सब लोगो तक पहुँचाने का है जो इस व्यक्तित्व से परिचित नही थे मेरी तरह।

डॉ. माधुरी बड़थ्वाल जी ( जन्म 19 मार्च 1953 ) आल इंडिया रेडियो की प्रथम महिला म्यूज़िक कम्पोजर है। उन्होने बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के लोक संगीत (गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी) के प्रचार, पलेखन और सरंक्षण के लिए पिछले 45 सालो से निरंतर कार्य किया है। उन्होने इसके लिए बड़ी मात्रा मे भ्रमण कर उत्तराखंड के हर उम्र के कलाकारो को पहचाना। सैकड़ो विद्यार्थियो को उन्होने सिखाया भी और निर्देशित भी किया। उन्होने उत्तराखंड के दुर्लभ वाद्य यंत्रो को दस्तावेज़ के रूप मे सँजोया भी है और उन्होने परम्पराओ को अपनी सोच के साथ सहेजने का प्रयास किया है। उन्होने लोक संगीत के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत को मिश्रित किया है। डॉ माधुरी ने उत्तराखंड के कई पुराने और अंजान कलाकारों जैसे जमुना देवी, भगीरथी देवी, बसन्ती देवी को भी रिकोर्ड किया है
लोकगायक चन्द्र सिंह राही के साथ           व्      पारंपरिक वेश भूषा मे डॉ माधुरी बड़थ्वाल 

५ साल की उम्र मे ताऊ जी की कही बात को दिल पर लेकर, उनके द्वारा दिये गए एक आने को वहीं रखकर, परिश्रम को हथियार बनाकर ज़िंदगी मे आगे बढ़ने की सोच और भाई बहनो को पढ़ाई के लिए प्रेरित करना उन्होने मकसद बना लिया। प्रकृति के सुरमय सहज व अनुशासित नगर लैन्सडाउन मे अपनी शिक्षा की शुरुआत की। पिता श्री चंद्रमणि उनियाल [गायक व सितारवादक भी] ने समाज की विपरीत टिप्पणियॉ को नज़र अंदाज करते हुये प्रयाग संगीत समिति मे विधिवत संगीत की शिक्षा दिलाई। डॉ माधुरी ने हाई स्कूल करते ही अपनी मेहनत के बलबूते संगीत प्रभाकर की डिग्री हासिल कर ली और फिर  अपने ही विद्यालय राजकीय इंटर कालेज लैंसडाउन मे संगीत अध्यापिका के पद पर कार्य किया। प्रथम गुरु श्री गणेश केलकर, गुरु श्री ज्वाला प्रसाद गुरु श्री मकसूद हुसेन [सारंगी वादक] से संगीत और राग रागिनियों की बारीकियों का अध्ययन किया। उन्नति के मार्ग पर अग्रसर माधुरी जी को आकाशवाणी नजीबाबाद मे प्रथम महिला म्यूज़िक कम्पोजर [ तत्कालीन केंद्र निदेशक श्री एस के शर्मा के अनुसार ] के रूप मे अखिल भारतीय स्तर पर पहचान मिली। इस दौरान माधुरी जी ने सैकड़ो संगीत, नाटको और रूपको का कुशल निर्देशन, लेख्न और निर्माण किया। नानी जी, ताई जी व माता जी से के साथ कई बुज़र्गों के द्वारा गढ़वाली भाषा [मुहावरे, लोकोक्तियाँ, लोकगीतो लोक गाथाओ व कथाओं ] का गूढ ज्ञान विरासत रूप मे प्राप्त किया और वही हिन्दी मे स्नातकोर करने के साथ ही संगीत और साहित्य का अनूठा रिश्ता बनाता चला गया। ।

डॉ मनु राज शर्मा व् डॉ माधुरी बड़थ्वाल 

पति डॉ मनुराज शर्मा [ जो संगीत के मर्मज्ञ थे] की प्रेरणा से शोध कार्य [उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर] मे स्वयं को तल्लीन कर और पांडुलिप्पी तैयार की।  नजीबाबाद से प्रसारित धारावाहिक 'धरोहर' का सृजनात्मक प्रसारण किया जिसमे उनके द्वारा संग्रहित धरोहर का उपयोग हुआ और पुनमूर्ल्याकन भी हुआ। इसी बीच ३ अक्तूबर २००३ मे डॉ मनुराज ने माधुरी जी का साथ छोड़ परलोक सिधार गए। कठिनतम और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, पति की मृयु के तीन बाद ही स्टुडियो मे बैठ 'धरोहर' का निर्माण किया - डॉ मनुराज का स्नेह और उनकी प्रेरणा ने ही उनमे यह आत्मविश्वास बनाए रखा। परिवार मे ज्येष्ठ सतीश चंद्र बड़थ्वाल जेठानी चन्द्रकला बड़थ्वाल व भतीजी नीरा बड़थ्वाल ने इस वक्त पर उन्हे और परिवार को मनोबल दिया। अपने शोध कार्य के लिए उन्हे बहुत लोगो का साथ मिला जिसमे उनके परिवार के सदस्य ससुर श्री संतन बड़थ्वाल [पूर्व विधायक], पुत्री येन्नी मदालसा, पुत्र मानस मनु और मानवेन्द्र मनु का योगदान सराहनीय है


अब डॉ माधुरी बड़थ्वाल संगीत को अपनी संस्था ' मनु लोक सांस्कृतिक धरोहर संवर्धन संस्थान'  के माध्यम से सँजोये रखने के प्रयास मे कार्यरत है समर्पित है । डॉ माधुरी लोक संगीत पर शोध करने वाले देश और विदेशो के शोध विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करती है। संस्कृति विभाग में लोक कलाकारों को सूचीबद्ध करने में डॉ माधुरी ने निर्णायक भूमिका निभाई। आज भी उन्हें आल इण्डिया रेडियो या उत्तराखंड के कई आयोजनों को मुख्य अतिथि के रूप में निवेदन किया जाता है निमंत्रित किया जाता है। नारी सशक्तिकरणके लिए उनके प्रयास व् कार्य सराहनीय है।


उत्तराखंड के संगीत व लोक संगीत की धरोहर के लिए कार्यरत डॉ माधुरी बड़थ्वाल जी को कोटि कोटि प्रणाम और हमारी शुभकामनायें।
उत्तराखंड के सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जी के साथ [ फोटो सौजन्य डॉ माधुरी बड़थ्वाल]

चलते चलते सुनिए सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जी के साथ गाया डॉ माधुरी जी का ये गीत 'स्याली बसंती'



...... धन्यवाद
आपका
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

हमारा उद्देश्य

When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.