वक्त ने हमें सिखाया, जीने का भेद बताया
मुझे ही मुझसे मिलाया, मै कौन मुझे बताया
स्वार्थ – निस्वार्थ का भाव मैने पहचाना
कौन अपना है कौन पराया ये भी जाना
कल और आज क्या, समय को पहचाना
मेरा वजूद क्यो, फ़िर मेरी समझ मे आया
प्रेम-द्वेश की फ़ितरत जानी, अपनों से ही बनी कहानी,
हार–जीत का अन्तर जाना, जीवन-मृत्यु का भेद जाना
वक्त ने हमें सिखाया, जीने का भेद बताया
मुझे ही मुझसे मिलाया, मै कौन मुझे बताया
मुझे ही मुझसे मिलाया, मै कौन मुझे बताया
स्वार्थ – निस्वार्थ का भाव मैने पहचाना
कौन अपना है कौन पराया ये भी जाना
कल और आज क्या, समय को पहचाना
मेरा वजूद क्यो, फ़िर मेरी समझ मे आया
प्रेम-द्वेश की फ़ितरत जानी, अपनों से ही बनी कहानी,
हार–जीत का अन्तर जाना, जीवन-मृत्यु का भेद जाना
वक्त ने हमें सिखाया, जीने का भेद बताया
मुझे ही मुझसे मिलाया, मै कौन मुझे बताया
आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल