Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

मैं किलै जाऊँ पहाड़

(इस रचना मे गाँव के लोगो की आस व आज के नौजवानो का जबाब )



उतराखंड का दाना सयाणा
बस रंदीन दिन रात बरड़ड़ाणा
नौना नौनियूं तुम बौड़ी आवा 
उत्तराखण्डे की संस्कृति ते पछाणा
कूड़ी - बाड़ी ते अपणी देखि ल्यावा 
बची च लस अबी, हमते देखी जावा 
बाद मा याद केरी की फिर पछ्तेला 
जलम भूमि कु करज कन मा चुके ला
आ जावा अपणा पहाड़... 

अरे बाडा, अरे दद्दा, किले छाँ बुलाणा
किले छाँ अपणी तुम जिकुड़ी जलाणा
आज तलक हम ते क्या दे ये पहाड़ा न 
न शिक्षा न नौकरी, बौड़ी की क्या कन 
मैं किलै जाऊँ पहाड़ ..... 

हिन्दी आप लोग बिंगी नी सकदा, 
अँग्रेजी हमर दगड़ बोली न सकदा
भैर जै की हमुन हिन्दी अँग्रेजी सीखी 
गढ़वली - कुमौनी ते कीसा उंद धैरी
मैं किलै जाऊँ पहाड़ ..... 

गढ़वली - कुमौनी मी अब नी बुल्दू 
समझ मी जांद पर बोली की सक्दू
छन कथगा जु बुलदिन अपणी भासा 
पर पछाण हमरी हिन्दी अंगरेजी भासा
मैं किलै जाऊँ पहाड़ ..... 

उकाल गौं की अब मी नी चेढ़ सकदू
बाड़ी झुंगरु कंडली अब मी ने खे सकदू 
झुकी की खुटा मी केकु नी छ्वै सकदू
बिना दाँतो की बात अब नी बींगी सकदू
मैं किलै जाऊँ पहाड़ ..... 

मी कखी छौं गढ़वली, कखी छौं कुमौनी 
किलेकि उख ह्वे जांदी थ्वाड़ा खाणी पीणी
इनै - उनै केबर मी उत्तराखंडी बण जान्दू
उत्तराखण्डे की बात पर पिछने सरकी जान्दू
मैं किलै जाऊँ पहाड़ ..... 

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 


आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

धन्यवाद

 बहुत दिन बाद अचानक देखा कि प्रतिबिम्ब भाई यहाँ भी बैठे हैं . अच्छा लगा .  -विजय बड़थ्वाल

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When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.