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Barthwal's Around the World

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बुधवार, 9 अगस्त 2023

बड़थ्वाल कुटुंब स्थापना दिवस - 6 अगस्त 2023


बड़थ्वाल कुटुंब स्थापना दिवस – ६ अगस्त २०२३

(गढ़वाल भवन - ६ अगस्त २०२३- स्थापना दिवस)

जय माँ भुवनेश्वरी जय भेरो दिबता.... सबी देबी दिब्ताओं कू आशीर्वाद से अर अपर ये कुटुंब का सहयोग (तन, मन अर धन से) बड़थ्वाल कुटुंब स्थापना दिवस ६ अगस्त २०२३ कुण दिल्ली क गढ़वाल भवन म सम्पन्न ह्वाई. २००७ म एक पौध लगे छयाई अर आज जू पत्ता जमी वू पर अब फूल लगण बैठी गीन, फल भी लगला... एक सुपिन जू देख छयाई वे ते साकार हूण दिख्नणु छौं ... त आप मेर खुसी कू अंदाज लगे सकदीन. भावुक भी छयाई अर एक जिम्मेदारी कु अहसास भी. कार्यक्रम सफल राई त अब जिम्मेदारी भी बढयल किले कि अब लुखो कि आकंक्षा भी बढेली.

शुरआत म स्वागत पिठेई अर रजिस्ट्रेशन ......... ढोल दमाऊ अर चायपाणी क दगड लुखो कु उत्साह इन छयाई जन कौथिग म अया हवाला.  स्थापना दिवस क कार्यक्रम म ४१ गाँवों बटी लगभग २०० बड़थ्वाल बंधुओ ते साक्षात् मिलि कि आत्म संतुष्टि जू ह्वे, वे क वास्ता शब्द नि छिन. स्थापना दिवस पिछल साल भी मने छयाई अलग अलग-  देहरादून, दिल्ली पौड़ी कोटद्वार अर मुंबई म – व ख़ुशी अलग छे.


कार्यक्रम की शुरआत पद्मश्री से सम्मानित डॉ माधुरी बड़थ्वाल जी क आगमन पर ढोल दमाऊ मश्कबाज क मधुर संगीत क दगडी ह्वे. कुटुंब का गणमान्य व्यक्ति दूर दूर बटी अया बड़थ्वाल उपस्थित छयाई. मंच पर महासचिव प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, उपाध्यक्ष डॉ माधुरी बड़थ्वाल एवं अध्यक्ष श्री राजकुमार बड़थ्वाल ते आमंत्रित करे ग्याई.  कोटद्वार बटी अया पंडित विमल बड़थ्वाल जी क मंत्रोचारण क दगड दीप प्रज्जल्वित करे ग्याई. ढोल दमाऊ पर मंगल गीत क दगडी शुरआत ह्वे. ये सत्र कू संचालन श्री पंकज बड़थ्वाल बड़थ्वाल जी न बखूबी निभे. पंकज जी न मंचासीन तिनी कार्यकारिणी क सदस्य कू परिचय दे अर कार्यकारिणी क सदस्यों द्वारा ही स्वागत भी ह्वाई. सबसे पेल प्रतिबिम्ब जी न अपरी सोच – बड़थ्वाल कुटुंब क बारा म विचार रखिन. तत्पश्चात कार्यकारिणी क सदस्य नवीन जी जू शिलोंग बटी ये कार्यक्रम क वास्ता येनी, कुटुंब कू उद्देश्यों ते अर अब तक का कार्यो की झलक सब्यू क समणी रखी.  

ये का बाद बड़थ्वाल कुटुंब का गौरव जस्टिस प्रेम कुमार बड़थ्वाल जी, ब्रिगेडियर गोबिंद बड़थ्वाल जी, श्री मदन मोहन बड़थ्वाल जी, कर्नल हीरामणि जी, श्री रघुनंदन जी न ये कुटुंब की सोच पर अपर विचार रखिन अर अपर सहयोग की बात, जनभागीदारी की बात करी. कुटुंब की सोच और यीं पहल की तारीफ भी करी.


( हरीश बडथ्वाल भाई साहब)

ये अवसर पर बडथ्वाल कुटुंब की स्मारिका क विमोचन कार्यकारिणी क सबी उपस्थित बंधुओंsन करी. यी स्मारिका म जख उपसभापति(राज्य सभा) हरिवंश जी, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतू खंडूड़ी जी, सांसद नरेश बंसल जी, डॉ विनोद बछेती जी ( चेयरमेन डी पी एम् आई), दिनेश ध्यानी जी ( संयोजक उ. लोकभाषा साहित्य मंच ), श्री अजय बिष्ट जी ( अध्यक्ष – ग. हि. स.)  क शुभकामना सन्देश छयाई  उखी बडथ्वाल कुटुंब की विरासत एवं वर्तमान क कुछ प्रबुद्ध व्यक्तित्वों पर लेख भी छयाई. कुटम्ब क पिछला कार्यक्रमों कि झलक, गाँवों कि झलक भी स्मारिका की शोभा बढ़ाना छन पिछला मेधावी छात्र प्रोत्साहन कार्यक्रम क विजेताओ की अर २०२३ क १५ विजेतों की फोटो भी च. बड़थ्वाल कुटुंब गौरव सम्मान अर उत्तराखण्ड क संस्कृति अर साहित्य सम्मान क नाम/फोटो भी स्मारिका म च.  लगभग ४०० बड़थ्वाल बंधुओ कू परिचय डाईरेक्टरी क रूप म शामिल च. बड़थ्वाल बंधुओ द्वारा कहानी कविता लेख अर फोटोग्राफी भी स्मारिका ते और आकर्षक बनाना छिन. श्री हरीश बड़थ्वाल जी (खण्ड) और श्री प्रतिबिंब बड़थ्वाल जी क अथक प्रयास से कुटुंब की स्मारिका प्रकाशित ह्वै

स्मारिका विमोचन क बाद प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल की गढवाली हिंदी की कविताओं की किताब यखुली कू विमोचन भी ह्वाई. प्रतिबिम्ब जी न यखुली कविता कू पाठ भी करी.

ये क बाद बारी छे बडथ्वाल कुटुंब गौरव सम्मान की – यी बेर ८ बडथ्वाल बंधुओ ते यूं सम्मान वूंका कार्यक्षेत्र म महत्वपूर्ण योगदान अर बड़थ्वाल कुटुंब कू गौरव बढ़ाण क वास्त सम्मान दिए ग्याई. श्रीमती पुष्पा बड़थ्वाल ( राजनीति/सामजिक), श्री सत्य प्रसाद बड़थ्वाल ( पर्यावरण संरक्षक) श्री सुभाष बड़थ्वाल( राष्ट्रपति पदक विजेता), कर्नल बड़थ्वाल ( सामजिक कार्यकर्ता), श्री घनानंद बडथ्वाल ( अधिवक्ता, नैनीताल हाई कोर्ट), श्री सत्यप्रसाद बड़थ्वाल ( पूर्व पत्रकार), एवं   डॉ माधुरी बड़थ्वाल (उत्तराखण्ड लोक संस्कृति पर कार्य). श्री सत्यप्रसाद जी, श्री सुभाष जी, श्री सत्यप्रसाद जी व् माधुरी जी उपस्थित छयाई अर राजकुमार जी व् प्रतिबिम्ब जी न यू सम्मान देई. सब्यू न सम्मान मिलन पर प्रसन्नता अर धन्यवाद प्रेषित करी.

एक बाद उपाध्यक्ष डॉ माधुरी बड़थ्वाल जी न कुटुंब कि यी पहल पर, कन प्रतिबिम्ब वू ते लुखो क समणी लाई, सम्मान मिलनी अर आज वू क्या महसूस करना छन दीदी भुल्ली क रिश्ता से अलग बौ चची ताई दूयर दयूराणी क प्रेम से. अध्यक्ष राजकुमार जीsन अध्यक्षीय उद्बोधन म परिवार कि सोच पर अपर विचार, शिक्षा, अर उत्तराखंड की समस्याओं की बात करी.


ये अवसर पर प्रतिबिम्ब की माँ जी श्रीमती प्रभा बड़थ्वाल जी कू आशीर्वाद भी सब्यू ते मिल.


भोजन

पैली सत्र कू यू आखिर कार्यक्रम छयाई नौजवान उभरती प्रतिभा गायक दक्ष बड़थ्वाल न पर दगडया क दगड घुघूती घूरण लगी  और अपर एक गीत प्रस्तुत करी...... मधुर गीत क बाद अपर देशी खाण कू आनंद सबी लुखो न ल्याई... बासमती भात, दड़बड़ी दाल, फड़फड़ो फाणू, मिक्स भुज्जी, अलू क गुटका, रुट्टी, सलाद पापड़ अर झंगौरा क खीर ....

दूसर सत्र ( लगभग ३ बजी) की शुरआत श्रीमती पम्मी बड़थ्वाल जी न कैरी. पैलू आकर्षण पद्मश्री डॉक्टर माधुरी बड्थ्वाल जी क मांगल गीत पर उद्बोधन अद्भुत भी छयाई अर अद्वितीय भी. लोकगीतों ते अपरी बुलंद आवाज़ म सुणाई भी च वूंकी व्याख्या भी करी.... सूणदू रावो बस ... लेकिन समय कि बात छे.

वे क बाद मेधावी छात्र कार्यक्रम म विजेताओं बच्चो ते पुरस्कृत करे ग्याई. १५ बच्चो ते पुरस्कार दिए ग्याई. प्रियांश, सौम्या आशिता, सानिका, विवेक (क चाचा जी), शुभांगी अर जतिन उपस्थित छयाई, वून ते जस्टिस प्रेम कुमार बड़थ्वाल जी, डॉ जीत राम भट्ट जी एवं श्री राजकुमार बड़थ्वाल जी न पदक, प्रशस्ति पत्र, पुष्प अर पुरस्कार राशी भेंट करी.

उत्तराखण्डे की संस्कृति अर साहित्य म योगदान क वास्ता पेली बार बड़थ्वाल कुटुंब द्वारा उत्तराखण्ड क चार लुखो ते सम्मानित करे ग्याई. हिंदी अर गढ़वाली भाषा का बरिष्ठ साहित्यकार श्री ललित केशवान जी तैं डॉ पीताम्बर दत्त बड्थ्वाल साहित्य सम्मान, लोक गायिका श्रीमती बीना तिवारी तैं लोक संस्कृति सम्मान, डॉ जीतराम भट्ट तैं पंडित मुकुंदराम बड्थ्वाल दैवज्ञ सम्मान अर सुश्री बसुंधरा रतूड़ी तैं संस्कृति सम्मान प्रदान करेगे. वीना जी क प्रतिनिधि क रूप म किरन पन्त जी न सम्मान स्वीकार करी. डॉ भट्ट जी न कुटुंब की यी पहल कू स्वागत करी अर लुखो ते, अन्य संस्थाओं ते भी इनी सोच रखण कि बात करी. सम्मान मिलण की ख़ुशी भी जतेई अर धन्यवाद भी करी. केशवान जी न अपर कविता मंच पर पढ़ी.  संस्कृति सम्मान से सम्मानित वसुंधरा रतूड़ीन ‘हम उत्तराखण्डी छा’ गीत गाई, प्रतिबिम्ब जी कू लिख्यू अर अपर गयू/स्वरबद्ध  करयूं गीत ‘ ‘मोदी जी करते मन की बात’ भी गाई. कुटुंब क अर प्रतिबिम्ब जी क भी धन्यवाद करी.

ये मौका परैं कवि सम्मलेन को भी आयोजन करेगे. आमंत्रित कवियों म सर्वश्री जयपाल सिंह रावत जी चिपवुडू दा’, श्री दिनेश ध्यानी जी, श्री जगमोहन सिंह रावत जी ‘जगमोरा’, डॉ कुसुम भट्ट जी अर युवा कवि प्रदीप रावत जी ‘खुदेड़’ न कविता पाठ कैरी. प्रतिबिम्ब जी न अंत म कबिता भी बांच. गढ़वली क प्रथम पजलकार जगमोरा जी न अपड़ी द्वी नै किताब ‘दुणत्यलि’ अर ‘लुणत्यलि’ भी बड़थ्वाल बन्धुओम म वितरित करिन. जगमोरा जी तै बहुत धन्यवाद अर शुभकामना.



पांच लुखो ते लकी ड्रा म इनाम मिलिन.... धन्यवाद ह्वाई अर वे क बाद कुटुंब क  लोग ढोल दमाऊ की थप पर खूब थिरकिन.... 6 बजी चाय पाणी पेकन सबी बंधुओ न एक दूसर से मिलकिन भिन्टे कन विदा ल्याई - दुबर इनी क्वी आयोजन म मिलण की आस क दगड ....

राजुकमार जी, माधुरी जी अर प्रतिबिम्ब जी क अलावा ये कार्यक्रम ते सफल बनाण म जू सदस्यों कि भूमिका छे वू छन कार्यकारिणी क श्री राजेन्द्र बडथ्वाल (फर्सेगाल), श्री नवीन बड़थ्वाल(पदमपुर), श्री पंकज बड़थ्वाल(बड़ेथ), श्री नरेंद्र बड़थ्वाल(गैर), श्री कमलेश बड़थ्वाल(बड़ेथ), श्री पंकज बड़थ्वाल(क्वाली), श्री प्रसन्ना बड़थ्वाल(तल्ला बास्बा), श्रीमती पम्मी बड़थ्वाल, देहरादून बटी अग्रज श्री सतीश बड़थ्वाल(बड़ेथ) अर श्री हर्षवर्धन बड़थ्वाल(खण्ड). श्री कमलेश बड़थ्वाल(बड़ेथ), श्री देवेन्द्र बड़थ्वाल(खण्ड) अर पंकज क टीम श्री महेश, श्री अमन, श्री वशिष्ट जी कू आभार.

ये मौका परैं समस्त बड्थ्वाल परिवार का सदस्यों का अलावा साहित्यकार श्री रमेश चन्द्र घिल्डियाल, श्री जयपाल सिंह रावत, श्री दर्शन सिंह रावत, श्री जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, श्री चन्दन प्रेमी, श्री गिरधारी रावत, श्री राकेश धस्माना, श्री युवराज सिंहगढ़वाल भवन का अध्यक्ष श्री अजय सिंह विष्ट, श्री नेगी, उपस्थित छाई

बड्थ्वाल कुटुंब द्वारा आयोजित ये आयोजन म द्वी सत्रों म भाषा, साहित्य, संस्कृति अर सामाजिक सरोकारों परैं विद्वानों ला अपरी बात राखी.  आयोजन म गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना खातिर बि चर्चा ह्वै. वक्ताओं न बोलि कि भारत सरकार जल्दी ही गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कौर.

बडथ्वाल कुटुंब कू सहयोग त तन मन धन से त मिल वे क वास्ता हम आभारी छ्वा. स्मारिका म विज्ञापन का रूप म डीपीएम्आई(दिल्ली), डेक्स लोजिस्टिक (दिल्ली), बलूनी कार्गो क सहयोग क वास्ता बड़थ्वाल कुटुंब आभार व्यक्त करदू.  गढ़वाल हितैषणी सभा तै सहयोग क वास्ता, गढ़वाल भवन का स्टाफ अर यात्री निवास व् किचन क सभी सदस्यों ते बढ़िया भोजन, व्यवस्था क वास्ता भी धन्वाद प्रेषित करदा.  

कार्यक्रम कू आगाज  व् समापन कि खास य बात रयाई कि सुबर बटी समापन तक सबी मन से बैठ्या रेन अर आनंद लींणा रेन. ये सफल आयोजन क वास्ता उपस्थित/अनुपस्थित सभी सहयोगकर्ताओं ते बहुत बहुत बधे, धन्यवाद अर शुभकामना.

शुभम

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

(सिराई,पौड़ी गढ़वाल / दिल्ली)

 

 


आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

शनिवार, 6 अगस्त 2022

6 अगस्त - बड़थ्वाल कुटुंब स्थापना दिवस

 

६अगस्त का दिन मेरे लिए ही नहीं बल्कि पूरे बड़थ्वाल परिवार के लिए अविस्मरणीय रहेगा. एक परिवार सा दृश्य, अपनत्व का भाव लिए लगभग ४०- ४५ गाँवों के बड़थ्वाल कई स्थानों पर इस आयोजन में शामिल हुए.
मुख्यत: यह आयोजन दिल्ली, देहरादून, कोटद्वार, पौड़ी व् मुंबई में रहा. कई स्थानों पर एक दो परिवार ने मिलकर भी इस अवसर को मनाया.

जो सपना लिए ६ अगस्त २००७ को लेकर चला था वो आज साक्षात् देख कर आप मेरी ख़ुशी का अन्दाज लगा सकते हैं. Barthwals Around the World से हुई शुरुआत आज बड़थ्वाल कुटुंब का रूप ले चुकी है.

कार्यक्रम इस प्रकार रहे - एक झलक
दिल्ली:
कार्यक्रम गढ़वाल भवन, दिल्ली के अलकनंदा हाल में हुआ


पंजीकरण प्रक्रिया, तिलक से अतिथियों का स्वागत व चाय नाश्ते के पश्चात् ११.१५ पर संचालक पंकज बड़थ्वाल ने भूतपूर्व सचिव वित् मंत्रालय भारत सरकार व् कुटुंब के अध्यक्ष श्री राजकुमार बड़थ्वाल ( डांग ), महा सचिव प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ( सिराई ), वरिष्ठ पत्रकार श्री हरीश बड़थ्वाल ( खण्ड ), श्रो मदन मोहन बड़थ्वाल ( सिराई )भूतपूर्व प्रबन्धक भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड BEL, भारत सरकार का परिचय देकर अतिथियों का स्वागत किया. स्वागत स्वरूप माला और टोपी पहनाई गई.

उपस्थित वरिष्ठ बड़थ्वाल बंधुओं ने दीप प्रजल्वित किया और महिलाओं के द्वारा मांगल गीत के पश्चात् औपचारिक शुरुआत हुई.

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ने कुटुंब सोच उद्देश्य व् किये जाने वाले कार्यों से सभी को अवगत कराया. तत्पश्चात मुख्य अतिथि हरीश बड़थ्वाल व् मदन मोहन बड़थ्वाल ने कार्यक्रम कि बधाई के साथ ही इसे महान कार्य बताया और सबसे साथ आकर जुड़ने और इसे आगे बढ़ने के लिए आवाहन भी किया और सहयोग के लिए भरोसा भी.



इसके तत्पश्चात उपस्थित बड़थ्वाल बंधुओं ने कुटुंब को लेकर ख़ुशी जाहिर की व् अपनी व् सुझावों को सबके मध्य नज़र रखा.

अंत में अध्यक्ष राजकुमार जी ने सभी उपस्थित बड़थ्वाल बंधुओं का धन्यवाद किया. कुटुंब को लेकर उदेश्यों को लेकर अपने विचार रखे और भविष्य में कुटुंब कि ओर से किये जाने वाले आयोजनो को और अच्छे सुन्दरता से हर रूप से करने का भरोसा भी दिया.
दिल्ली के आयोजन को सफल बनाने में जिन व्यक्तित्वों का सहयोग रहा और काबिले तारीफ रहा उनमें मुख्यत: कार्यकारिणी के सह- कोषाध्यक्ष श्री कमलेश बडथ्वाल(बड़ेथ), श्री देवेन्द्र बड़थ्वाल ( खण्ड ), श्री नरेंद्र बड़थ्वाल ( गैर ), श्री पंकज बड़थ्वाल( बड़ेथ), श्री पंकज बडथ्वाल (क्वली), श्री राजेन्द्र बड़थ्वाल ( फर्सेगाल ) - आप सभी का हार्दिक आभार.

दिल्ली में सिराई, बड़ेथ ( सबसे अधिक ), क्वली, बुलोड़ी, बुडोली फर्सेगाल, पाली, डांग, तल्ला बसबा, रोहिणी तल्ली, गैर गाँव से उपस्थिति रही. प्रसन्नता हुई कि परिवार के कई बड़ो का आशीर्वाद कल हमें मिला.
कार्यक्रम का संचालन पंकज बड़थ्वाल ने बहुत सुन्दरता से किया.


सभी उपस्थित बड़थ्वाल बंधुओ ने संस्था के लिए समय व् सामर्थ्य के अनुसार तन - मन - धन से सहयोग का अपना आश्वाशन दिया और अपने गाँव के अधिक से अधिक लोगो को जोड़ने की प्रतिबद्धता भी दोहराई. यह हमारी सभी बड़ी सफलता है.

कार्यक्रम को यादगार बनाने हेतु सभी अतिथियों को एक की चैन व् पेन भेंट किया गया फोटोग्राफ हेतु श्री अनिल बड़थ्वाल जी का हार्दिक आभार.




हर घर झंडा, हर घर तिरंगा को लेकर भी कुटुंब के सदस्य राजेन्द्र भाई ने पहल की और कई सदस्यों ने तिरंगे और अन्य सामान ख़रीदे.

इसके बाद कुटुंब के सभी सदस्यों ने उत्तराखंडी खाने - भात, मिक्स दाल, मिक्स बुझी, रोटी सलाद व् झुंगर की खीर खा कर पुन अधिक संख्या में मिलने का वायदा देकर विदा ली.

बड़थ्वाल कुटुंब यूट्यूब चैनल पर यह कार्यक्रम लाइव रहा https://youtu.be/sFdgBLx7SR4

देहरादून:
हिम पेलेस होटल, नेहरु कोलोनी, देहरादून में आयोजित यह कार्यक्रम पद्मश्री से सम्मानित, बडथ्वाल कुटुंब कि उपाध्यक्ष माधुरी बड़थ्वाल जी की अध्यक्षता में मनाया गया. भूतपूर्व राज्य महिला आयोग अध्यक्ष सुश्री विजया बड़थ्वाल जी कि उपस्थिति ने भी इस कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिए. दोनों ने ही दीप प्र्जल्वित क्र कार्यक्रम कि शुरुआत की.

दून में रिटायर्ड तहसीलदार सतीश बड़थ्वाल जी, शांति प्रसाद बडथ्वाल जी, हर्षवर्धन बडथ्वाल जी, राकेश बड़थ्वाल जी, वेदप्रकाश बड़थ्वाल जी अनीता बड़थ्वाल व् कविता बड़थ्वाल जी के प्रयासों व् अगुवाई में यह कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ. मंच का संचालन शांति प्रसाद बड़थ्वाल जी ने किया. डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी सहित सभी पूर्वजो को याद भी किया और दो मिनट का मौन भी रखा. श्री जगदीप बड़थ्वाल ने अपने पिताजी, पूर्व बीएसफ इन्स्पेक्टर श्री ओम प्रकाश बड़थ्वाल की पुस्तक "कश्मीर में पाक प्रायोजित छ्द्मयुध' अतिथियों को भेज्न्त दी. मुख्य अतिथि ने हर घर झंडा हर घर तिरंगा के लिए भी ध्यान आकर्षित किया. मुझे वीडियो काल के द्वारा उपस्थित लोगो को देखने, अभिवादन करने मौका मिला.
सबका हार्दिक आभार बड़थ्वाल कुटुंब की ओर से. आप के दो दिन के प्रयास से कार्यक्रम में लगभग ४०+ लोग उपस्थित रहे. जो सराहनीय है.




कोटद्वार:


लक्ष्मी वेडिंग प्वाइंट बलासोड़, कोटद्वार में यह कार्यक्रम ले.कर्नल राजेन्द्र प्रसाद बड़थ्वाल जी के नेतृत्व में बड़थ्वाल परिचय समारोह के रूप में मनाया गया. इस कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष सुश्री रितू खंडूड़ी जी मुख्य अतिथि रही व् उन्होंने ही दीप प्रजल्वित कर कार्यक्रम का शुभ आरम्भ भी किया गया.




इसमें सहयोग कि भूमिका निभाई पंडित विमल प्रसाद बड़थ्वाल जी व् शोभा बड़थ्वाल ने. सभा की अध्यक्षता शंभू प्रसाद बड़थ्वाल जी ने की. इस कार्य कर्म के मंच संचालन का काम डॉ सी एम् बड़थ्वाल जी ने किया. मुख्य प्रवक्ता गोपाल कृष्ण बड़थ्वाल, कैप्टेन सी पी डोबरियाल,डॉ सी एम् बड़थ्वाल,ले. कर्नल आर पी बड़थ्वाल, शंभू प्रसाद बड़थ्वाल आदि ने बड़थ्वाल कुटुंब के उत्थान पर प्रकाश डाला. मुख्य अतिथि रितु खण्डूरी जी ने समाज को जोड़ने की लिए बड़थ्वाल कुटुंब के प्रयास के लिए सभी बड़थ्वाल जनों की प्रशंसा की. साथ ही कर्नल बड़थ्वाल जी के द्वारा डिफेन्स कैरियर अकैडमी कोटद्वार स्टूडेंट्स को आर्मी में भर्ती करने की मुफ्त सेवा की प्रशंसा कीं. इस समारोह मे कुल 70 से ऊपर बड़थ्वाल परिवार के सदस्य ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई.
कार्यक्रम में कोटद्वार से ही नहीं बल्कि आस पास के गाँवों से व् दूर के गाँवों से भी बड़थ्वाल सम्मलित हुए. यह बड़थ्वाल कुटुंब के लिए गौरव का पल रहा. राजेन्द्र भाई साहब सहित सभी उपस्थित बड़थ्वाल बंधुओं का हार्दिक आभार शुभकामनायें.


मुंबई:


मुंबई में संख्या कि दृष्टि से नहीं बल्कि भाव की दृष्टि से दो स्थानों पर उपस्थिति देते हुए मैं राजेन्द्र भाई साहब व् आनंदी दी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ.


पौड़ी :



गढ़वाल स्वीट भंडार, पौड़ी में यह आयोजन अनूप बड़थ्वाल व् निर्मला बड़थ्वाल के देखरेख में यह कार्यक्रम सुंदर रहा. यहाँ भी संख्या नहीं भाव के मध्य नज़र कार्यक्रम सफल रहा. कुटुंब के कोषाध्यक्ष राजीव बड़थ्वाल भी अन्य गणमान्य व्यक्तियों में शामिल रहे. वह उपस्थित लोगों के साथ वीडियो काल पर परिचय व् अभिवादन करना का मौका मिला.
हरिद्वार:
आशु बड़थ्वाल ने अपने परिवार के साथ इसे मनाकर अपने प्रेम व् सहयोग को दर्शाया.
आनलाइन:
यह पहला व्यक्तिगत मिलन था कुछ लोग समय निकाल पाए क्योंकि समय व् परिस्थिति शायद उन्हें अनुमति नहीं दे पाई. कुछ लोग रात को हुई एक आनलाइन बैठक में उपस्थिति रहने में सफल रहे. जिसकी अध्यक्षता सचिव श्री नवीन बड़थ्वाल जी ने की. सभी का आभार.
दिल्ली की बैठक का प्रसारण बडथ्वाल कुटुंब यूट्यूब चैनल पर लाइव किया गया था.
सभी स्थान के आयोजको प्रयोजको व् उपस्थित बड़थ्वाल बंधुओं का इस अवसर को यह रूप देना मुझे रोमांचित कर रहा है और अब मेरा विश्वास दृढ हो चला है कि बड़थ्वाल कुटुंब कि सोच के साथ जो उद्देश्य हमने तय किये हैं उन्हें आप सबके सहयोग से हम प्राप्त करने में सफल होंगे.

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
महा सचिव, बड़थ्वाल कुटुंब



आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

गुरुवार, 15 जुलाई 2021

ज्योतिषाचार्य स्व श्री मुकुंद राम बड़थ्वाल “दैवेज्ञ” - एक परिचय


(ज्योतिषाचार्य स्व श्री मुकुंद राम बड़थ्वाल “दैवेज्ञ” )


जब भी किसी बड़थ्वाल का नाम सुनता हूँ तो अनायास ही मन ख़ुशी अनुभव करता है और यदि कोई ऐसा है जिसके कृतित्व व् व्यक्तित्व पर बड़थ्वाल कुटुंब को गर्व होना चाहिए तो गर्व होता है. हम ही परिचित नहीं तो कैसे उनके कृतित्व को अन्य लोगो तक पहुंचाए. ऐसे ही एक प्रकांड ज्योतिषविद्ध श्रद्धेय स्व मुकुंद राम बड़थ्वाल जी के बारे में मुझे अब पता चला. जानकरी मिलने पर जो परिचय प्राप्त हुआ वह अद्भुत है. ज्योतिष विद्या में अनुसंधान के प्रक्रिया सा विस्तार दिया है इन्होने. उनके द्वारा ज्योतिष विज्ञानं में  जो श्रम और इस साहित्य को दिया गया है शायद बहुत थोडा ही लोग जानते है अगर कहे की कोई नहीं जानता तो अतिश्योक्ति भी नहीं होगी. गिने चुने लोग तब और अब तो कोई भी नहीं. हमें अपने इस रत्न की केवल अपनों में नहीं, केवल भारत में नहीं बल्कि विश्व से पहचान करवानी होगी. बडथ्वाल होने के नाते हमारे इस बड़थ्वाल कुटुंब का दायित्व भी बन जाता है और उस क्षेत्र ( संस्कृत संस्थाओं ) का भी जिसका वे प्रतिनिधित्व करते थे. आईए आज उस ज्योतिष साधक, संस्कृति साधक को संक्षिप्त में, उनके बारे में जानने का प्रयास करते है. उनका अपने समाज से परिचय करवाते हैं.  

 प मुकंद राम बडथ्वाल का जन्म  ८ नवम्बर १८८७ को उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश का हिस्सा) के खंड ग्राम में हुआ. पिता श्री रघुबर दत्त बड़थ्वाल ( ज्योतिष, कर्मकांड व आयुर्वेदाचार्य) तीन पुत्रो में सबसे बड़े पुत्र मुकुंद राम बड़थ्वाल  को ज्योतिष, एक पुत्र को कर्मकांड व् एक पुत्र को आयुर्वेद की ओर प्रेरित किया. मुकुंद राम जी ने पिताजी द्वारा ज्योतिष विद्या को बचपन से ही ग्रहण करना शुरू किया. एक लोकोक्ति है न कि पूत के पाँव पालने  में ही  दिख जाते  हैं अर्थात  किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान उसके वर्तमान लक्षणों से लगाया जा सकता है. मुकुंद राम जी ने इस लोकोक्ति को चरितार्थ किया जब उन्होंने मात्र ९ साल की उम्र में ग्रह – गणित ज्ञान अर्जित कर लिया. 
 
इनकी शिक्षा घर, लाहौर व् साहित्यिक साधना देव प्रयाग में हुई  देव्शाला में हुई. १८ वर्ष की आयु में ही मुकुंद जी ने जातक – सारम की रचना की थी. ज्योतिर्य गणित व् सूर्यसिद्धांतो का गहन अध्ययन कर उन्होंने  मुकुद –विनोद सारिणी , मकरंद तति, मुकुंद पद्धिति, प पञ्चांग मन्जूषा, दशा- मन्जरी, सारिणिया बनाई.

मेरा मानना है की आधुनिक ज्योतिर्विद में इनका नाम प्रमुखता से लिया जाना चाहिए. यह उनके अथाह ज्ञान व् कड़ी मेहनत के साथ शोध गर्भित अन्वेषण शामिल है.. लाहौर में एक ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा फलित ज्योतिष के ग्रन्थ संकलन हेतु मुकुंद दैवेज्ञ जी ने अनेकों प्रकाशित व् अप्रकाशित ग्रंथो का अध्ययन किया. यह कोई आसान कार्य नहीं था लेकिन उनकी लगन ने ज्योतिष शास्त्र के सभी अंगो का समन्वय कर ज्योतिस्त्तत्व के नाम से रचा जो प्रकाशित हुआ. इस पुस्तक को छपने में मुंबई से तीन व्यापारी केशवलाल वीरचन्द सेठ, राम्निक्लाल श्यामलाल परोख,बादिलाल मोहनलाल शाह का योगदान रहा. इसका संपादन उनके शिष्य प चक्रधर जोशी. गुरु मुकुन्दराम दैवेग्य जी और शिष्य प चक्रधर जोशी जी की जोड़ी, गुरु - शिष्य परम्परा की सटीक उदाहरण थी उनके इस शिष्य ने ही आचार्य मुकुंद दैवेज्ञ ज्योतिः शोध संश्थान  की स्थापना (The Himalayan Astrological Research Institute के अंतर्गत सन १९४६ ई में देवप्रयाग में की थी. इसके अंतर्गत एक नक्षत्र वैधशाला तथा पुस्तकालय भी बनाया बनाया गया.  


मुकुंद जी ने बहुत से ग्रंथो पर संस्कृत में व्याखाएं व् टीकाएँ लिखी. जिनमें से प्रमुख है
भट्तोत्प्ल की आर्या- सप्तति 
वेंकटेश कृत केतकी – ग्रह गणित
विददाचार्य की पद्धति – कल्पवल्ली
मल्लारी की अश्वारूढ़ि
पंडित पद्दनाभ का लम्पाक-शास्त्र
पंडित परमसुख उपाध्याय का रमल –तंत्र

ऊपर लिखी हुई भट्तोत्प्ल की आर्या- सप्तति तो कई वर्षो से राजस्थान विश्वविद्यालय की ज्योतिषाचार्य परीक्षाओं में निर्धारित पाठ्यपुस्तक है. ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न पक्षों पर दैवेज्ञ जी ने १२ भावो के फलित पर संकलन ग्रन्थ लिखे हैं. इनमें से कुछ भावो पर उनके निम्नलिखित ग्रन्थ उल्लेखनीय हैं और प्रकाशित भी हैं.

भावमन्जरी
अष्टकवर्ग
आयु-निर्णय
इष्टलग्न- निर्णय
प्रसवचिंतामणि व् नष्ट जातक

ज्योतिष के जिज्ञाशूओ के लिए इसके अलावा भी उनके ग्रन्थ है जैसे बाल बोध दीपिका, वृहद/ ज्योतिष शास्त्र प्रवेशिका, वृहद होड़ा चक्र. साथ ही ज्योतिर्गणित सिद्धांत, जातक ताजिक प्रश्न वृष्टि शकुन वस्तु समर्घ-महर्घ पर भी उन्होंने ग्रन्थ लिखे हैं. इनमे से कुछ प्रकाशित कुछ अप्रकाशित है. सभी ग्रंथों को तालिका रूप में प्रस्तुत करूंगा आगे.

ज्योतिष ग्रंथो के अध्ययन के समय ज्योतिष शब्दों के लिए मुकुंद दैवेज्ञ जी को कई शब्दकोषो में ढूँढना पड़ता था. विभिन्न कोश ढूंढते थे. जैसे  वैश्नीय कोश की खोज की तो पता लगा की एक तो लन्दन में एक भारत में. किसी तरह उनके शिष्यों ने भारत में उस का कोश का पता लगाया उस पुस्तकालय का सदस्य बनाया.   इसलिए साथ साथ उन्होंने ज्योतिष शब्दों को एकत्र करना शुरू किया.  इसके फलस्वरूप उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति  ज्योतिष शब्दकोष जो की ज्योतिष शास्त्र को एक देन है. सन १९६७ में भारत सर्कार के शिक्षा मंत्रालय की वितीय सहायता द्वारा इसका प्रकाशन हुआ.  इस शब्दकोष में गद्य पद्य उपयोगी शब्द, पर्यायवाची शब्द व् अनेकार्थ शब्दों का भी संकलन है. इस शब्दकोष का आमुख महो महोपाध्याय परमेश्वरानंद द्वारा लिखित है.

उनकी विद्वता का और ज्योतिष पांडित्य ज्ञान का एक उदाहरण उनका एक मौलिक ग्रन्थ ज्योतिषतत्वम है जो १९५५ में प्रकाशित हुआ. लगभग १४०० पेजों के इस ग्रन्थ में ७७७५ स्वरचित श्लोक है.

मुकुंद कोष  का केवल एक ही भाग प्रकाशित हो पाया. अधिकांश रचनाओं को उन्होंने मुकुंद आश्रम में ही सृजन किया.  मुकुंदाश्रम सन १९६० से बनाया गया था. आइये जानते है उनके प्रकाशित व् अप्रकाशित ग्रंथो के नाम:

प्रकाशित ग्रन्थ

पंचांग मंजूषा : मुंबई से कल्याण प्रेस द्वारा सन १९२२

आर्य सप्तति: पाण्डुरंग जीवाजी रामचंद्र येशु शेंडगे मुंबई द्वारा

मुकुंद पद्वति : देवप्रयाग क्षेत्र निवासी श्रीमत पंडित गोवर्धन प्रसाद भट्ट , पंडित रेवतराम जी व् पंडित माधो प्रसाद शर्मा – स्व्मूलेन प्रकशित  १९८३ में नवल किशोर मुद्राणलय मुद्रिता बम्बई 1983

दशामन्जरी : मुकुंद प्रकाशन,जयपुर

ज्योतिषशास्त्र प्रवेशिका:

बृहद होरा चक्रम: मेहर चंद लक्ष्मण दास, संस्कृत – हिंदी ( पुस्तक विक्रेता सैदमिट्ठा बाजार, लाहौर विक्रम संवत १९९३

ज्योतिष रत्नाकर: लाहौर में ( एक भाग ही ही ४०० पन्नो का)

ज्योतिषतत्त्वं: १९५५ प चक्रधर जोशी

आशुबोध टीका:  जयपुर में आचार्य स्वीकृत

ज्योतिष शब्द कोश: १९६७

बृहद ज्योतिष शास्त्र

नष्ट जातकम: रंजन पब्लिकेशन

भाव मन्जरी: रंजन पब्लिकेशन

आयुर्निर्णय: रंजन पब्लिकेशन

अष्टक वर्ग महानिबंध: रंजन पब्लिकेशन

प्रसव चिंतामणि: रंजन पब्लिकेशन

जातक भूषणं: रंजन पब्लिकेशन

वित् एवं कृति प्रबंध

लिंगानुशासन वर्ग

 
अप्रकाशित ग्रन्थ लगभग ३०  (१४ ज्योतिष गणित)
पद्वति कल्पवल्ली
जातक सर
मुकुंद विनोद सारिणी
आयुदार्य संग्रह
मुकुंद विलास सारिणी
एकोद्दिष्ट श्राद्ध पद्वति
मकरन्दतति:
अष्टक वर्ग संग्रह
ज्योति: सार संग्रह
जातक परिजतादी संग्रह
जातकालंकार(टीका)
ताजिक योग संग्रह
मुकुंद योग संग्रह
व्यापार रत्नम
रमल नवरत्नम
जातक सूत्रम
बाल बोध दीपिका
पियूष धरा
मनोरमा
मधुव्रता
कोशानामवली
भूवलय चक्रम
अश्वारूढ़ी
लम्पाक शास्त्रं
प्रश्न दीपिका
स्त्रीजातकम
कोतकीयगृह गणितम
मुकुंदकोश
(ताम्रपत्र - अभिनव वराहमिहिर)

ज्योतिष के मर्मज्ञ पं मुकुंद राम बड़थ्वाल जी को १२ अप्रैल सन १९६७ में भारतीय ज्योतिष अनुसंधान संस्थान ने अभिनव वराहमिहिर की उपाधि से सम्मानित किया. यह उपाधि उन्हें राज्य पाल एम् चेन्ना रेड्डी द्वारा लखनऊ में प्रदान की गई.  वराहमिहिर ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे. ये भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मार्तण्ड कहे जाते हैं और वे चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य  के नवरत्नों में से एक थे. ज्योतिष समाज में दैवेज्ञ जी की तुलना  वराहमिहिर से किया जाना ही  पंडित मुकुंद राम बड़थ्वाल की महानता का परिचायक है.  उनके मौलिक 40,००० श्लोक है.

मुकुन्दस्य प्रतिज्ञेद्वे कोषम ( मुकुंद्कोश) गंगा गंगां च न त्यजेत  परिज्ञ को अंतिम समय तक निभाया. खंड ग्राम में मुकुंदाश्रम में नदी किनारे ३० सितम्बर १९७९ मुकंद दैवेज्ञ जी ने अंतिम सांस ली.  

उनके लिखित हस्तलिखित ग्रन्थ आज भी बाट जो रहे है सरकार की, किसी प्रकाशक की, किसी ऐसी संस्था की जो संस्कृत में लिखे इन ग्रंथो को अनुवाद करवा कर ज्योतिष के विद्यार्थियों को, शोधकर्ताओं को उपलब्ध हो सके या ज्योतिष में, फलित ज्योतिष पढने वाले प्रयोग करने वाले इसका लाभ उठा सके.

इन सभी जानकारियों हेतु आभारी हूँ उनके पुत्र श्री रमेश बड़थ्वाल जी का, पोती सुश्री सुधा का, पोते श्री शैलेन्द्र बड़थ्वाल जी का व् श्री हर्षवर्धन जी का जिन्होंने आंशिक तौर पर ही सही परन्तु मुझे जानकारी प्रदान की.

प्रकाशित कुछ पुस्तकों ही मुझे पता चल पाया. रंजन पब्लिकेशन ने भी मुझे जानकरी देने से इंकार किया ( उनके पास १० - १२ ग्रन्थ है कुछ ६ या ७ प्रकाशित उसका भी वे ठीक से जानकरी नहीं दे रहे हैं बाकियों का ज्ञात नहीं). यह  अत्यंत निराशा का विषय है कि उनका विस्तृत भंडार आज भी बंद तालो में है. परिवार के सदस्य भी असमर्थता जाहिर करते हैं कई कारणों से. लेकिन एक उत्तराखंडी होने के नाते, बड़थ्वाल होने के नाते यह हम सब का भी सामूहिक कर्तव्य बन जाता है कि हम इन ग्रंथो के प्रकाशनार्थ हेतु कोई योजनाबद्ध तरीके से इसमें पहल करें.

अंत में इस महान ज्योतिषाचार्य मुकंद देवैज्ञ जी की स्मृति में बड़थ्वाल कुटुंब की ओर नमन करता हूँ और विश्वास है आने वाले समय में हम अवश्य उनके अधूरे कार्य ( अप्रकाशित पुस्तकों को प्रकशित करने का) को पूरा करने का प्रयास करेंगे.

 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
‘बड़थ्वाल कुटुंब’
एवं
महामन्त्री, हिंदी साहित्य भारती (विदेश)


(सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल)

शुक्रवार, 28 मई 2021

साहित्य के सफर में - एक वार्ता


२७ मई २०२१ को अजय श्री टाइम्स के फेसबुक पेज पर एक वार्ता 

 

देखने सुनने का अवसर मिले तो जरुर किल्क करें - शुभम 
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आपका सहयोग - आपके विचारो और राय के माध्यम से मिलता रहेगा येसी आशा है और मुझे मार्गदर्शन भी मिलता रहेगा सभी अनुभवी लेखको के द्वारा. इसी इच्छा के साथ - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

बुधवार, 26 मई 2021

पर्यावरण प्रेमी श्री रामप्रसाद बडथ्वाल – एक परिचय




पर्यावरण प्रेमी श्री रामप्रसाद बडथ्वाल – एक परिचय 

१२ मार्च १९४४ को जन्मे श्री रामप्रसाद बड़थ्वाल – एक पर्यावरण प्रेमी जिन्होंने अधिकतम समय पर्यावरण को समर्पित किया है. पिछले कई वर्षो से वे पर्यावरण के पर्याय है. बिना नाम की लालसा लिए वे हजारो की तादाद में वृक्षारोपण कर प्रकृति से प्रेम व् पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश को लोगो तक पहुंचा रहे है.  

फलपट्टी के नाम से मशहूर कांडी खंड गाँव में  स्व श्री रघुबर दत्त के परिवार में तीन पुत्र श्रद्धेय मुकंद राम बड़थ्वाल देवेज्ञ, श्री उरमिदत्त और श्री राधाकृष्ण है. प्रकृति प्रेमी रामप्रसाद जी राधाकृष्ण जी के पुत्र है.  

परिवार में स्व श्री देवेज्ञ जी सभी के प्रेरणा श्रोत रहे है और रामप्रसाद जी ने भी सोचा कि मैं भी कुछ ऐसा कार्य करूं जिससे हम राज्य के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभा सके. वर्ष १९७२ में गढ़वाल से पलायन की शुरुआत हो चुकी थी. उनकी माता जी के निधन के उपरांत  उनके खेत खलिहान सब खाली और सूखे – गढ़वाली भाषा में जिसे “बांज/बजर पोड गीन” बुल्दीन. तब इन्होने वृक्षारोपण की बात सोची. अपने चचेरे भाई महिमानंद  के साथ मिलकर कांडी (गंगा किनारे के क्षेत्र)  में दिवाल बंदी कर 300 गड्ढे खोदकर उसमे कलजी नीम्बू के पेड़ लगाये. इस सफल प्रयोग से वे खुश भी हुए और मन ही मन निश्चय भी किया वे इसे अपना मिशन भी बनायेंगे. उनकी प्रेरणा से कई लोगो ने इस पर काम कानर शुरू किया. अध्यापक सत्याप्रस्द बड़थ्वाल ने भी इसी प्रेरणा से लेकर गाँव में आम केले अंगूर कटहल बांज आदि के सैकड़ो पेड़ लगाये.  कुछ समय तक ही वे यह कार्य कर पाए. ( अभी इस जगह पर उनके भतीजे विनोद गेस्ट हाउस चलाते है ) 

रोजगार की तलाश के लिए वे मुंबई भी गए. यहाँ उन्होंने टैक्सी चलाई, वर्कशॉप में काम  किया. और वहां से उन्हें ओमान जाने का मौका मिला. जिसमे वे एक साल तक ड्राइवर का कार्य करते रहे. इसके साथ ही उन्होंने अरबी बोलना सीखा और सेल्समेन की नौकरी करने लगे.  लेकिन पेड़ो सा उनका प्रेम यहाँ भी उन्हें रोक नहीं पाया. रेगिस्तान में अपने घर के आंगन में बकरी की लीद से रेतीली भूमि को उर्वरक बनाकर भिन्डी, मिर्च बैंगन इत्यादि सब्जियां उगाने लगे. इसे देख वहां के ओमानी अचम्भित हुए. उन लोगो ने उन्हें आग्रह किया कि वे उनके घरो में भी इसी तरह के पेड़ चाहते है. रामप्रसाद जी ने उनके घरो में जाकर खेती तैयार करना सिखाया. तब लोगो ने वहां भी नीम्बू, बेर, अमरुद व् आम के बगीचे लगाये. रामप्रसाद जी ने वहां ओमानियो को हरियाली और वृक्षारोपण का सन्देश दिया. 

रामप्रसाद जी १९९५ में ओमान से स्वदेश लौटे. उन्होंने अब वृक्षरोपण को अपना लक्ष्य बना लिया. ऋषिकेश में उनके घर के आस व् अन्य क्षेत्रो में पर्यावरण सरंक्ष्ण के लिए पौधारोपण को प्रमुख मान कर लोगो को सन्देश देना शुरू किया. जहाँ कहीं उन्हें स्थान दिखाई देता वे पेड़ लगा देते. अनजान  लोगो के घरो में भी पेड़ लगा आते थे. अपनी जेब के खर्चे से बरसत में वे अधिक पेड़ लगते थे.   देखते देखते वे समाज में ‘ग्रीनमैन’ नाम से चर्चित हो गए.निजी खर्च पर फलदार पौधे लगाना और लोगो में बाँटना ही उनका कर्म बन गया. वे जब भी अपनों के या रिश्तेदारों के यहाँ जाते तो पौधा लेकर ही जाते और उन्हें पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश देते. 

वृक्षारोपण के कई अभियानो की शुरआत इन्होने की है.  कई संस्थाओ व् विद्यालयों के लोग इनको वृक्षरोपण व् पर्यावरण सरंक्षण के कार्यक्रम में बुलाते है. कई सम्मान कई संस्थाओ द्वारा इन्हें प्राप्त है. हर वर्ष इसके लिए वे अपना लक्ष्य निर्धारित करते थे.  पर्यावरण संतुलन के लिए वे मानते है की वृक्षों का संरक्षण आवश्यक है. 

कुछ वर्ष पूर्व एक सडक दुर्घटना में रामप्रसाद जी घायल हो गए थे जिस कारण पाँव की चोट उन्हें आज चलने फिरने में दिक्कत करती है. वो घर - घर जाने में असमर्थ है पर लोग उन्हें पहचानते है और घर से ही पौधे ले जाते हैं.  उनके इस सेवा भाव से खुश होर्टीकल्चर विभाग  वाले भी अब पौधे इनके यहाँ छोड़ जाते है और लोग इनके घरो से पौधे ले जाते हैं. 

वृक्षमित्र बडथ्वाल जी मानते है कि वनों के प्रति उपेक्षात्मक व्यवहार ही प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी का कारण है. आज जो प्रकृति में बदलाब देखने को मिला रहा है वह मनुष्य हस्तक्षेप के कारण है. पर्यावरण की स्वस्थता के लिए पौधों का सरंक्षण व् संवर्धन वे अनिवार्य समझते है.

प्रकृति प्रेमी / वृक्ष मित्र श्री रामप्रसाद जी को बड़थ्वाल कुटुंब के सदस्य उनके इन प्रयासों के लिए हार्दिक बधाई व् शुभकामनाये देते है. आशा है आपसे प्रेरित होकर और भी इस अभियान को चलाएंगे व् पर्यावरण सरंक्षण द्वारा प्रकृति का संतुलन बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे – शुभम 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

( श्री रामप्रसाद बडथ्वाल जी से बातचीत व् हेमलता बहन द्वारा दी जानकरी पर आधारित )  
  
   



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हमारा उद्देश्य

When we dream alone it is only a dream, but when many dream together it is the beginning of a new reality.