हिंदी, साहित्य, संस्कृति और धर्मनिष्ठा से जुड़े कुछ बड़थ्वालो से आपका परिचय करवाया. आज मुझे एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में जानने का अवसर मिला जो देश की रक्षा से जुड़ते हुए पर्वतारोहण ब एथलीट की दुनियां में आज एक मिसाल है. उत्तराखंड के ग्राम ‘खोला’ पट्टी कंडवालस्यूं के श्री बुद्धि बल्लभ के सुपुत्र लेफ्टिनेंट कर्नल रोमिल बड़थ्वाल (सेवानिवृत्त) अपने फौजी पृष्ठभूमि, पारंगत क्षेत्र और व्यवसाय में किसी परिचय के मोहताज नहीं. लेकिन हम सबके लिए इस साहसी व्यक्तित्व को जानना और भी जरुरी हो जाता है कि वे बड़थ्वाल है.
13 पर्वतारोहण अभियान को नेतृत्व प्रदान करने वाले रोमिल बड़थ्वाल ने २२ वर्षो तक सेना में अपना योगदान दिया. अपने पर्वतारोहण अभियान का अंत उन्होंने मई २०१९ में माउन्ट एवरेस्ट पर फतह के साथ पूरा किया.
रोमिल बड़थ्वाल एक ट्रेकर, एक एंड्योरेंस-रनर और सुपररेंडोन्यूर ब्रेवेट्स (साइकिलिंग) है. वे व्हाईट वाटर राफ्टिंग कोर्स के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ है. विज्ञापन खेलो में भी रोमिल ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. बजी जम्पिंग, कयाकिंग, पैरामोटरिंग, पैरासेलिंग, पैराग्लाइडिंग सहित साहसिक खेलों में सक्रिय रूप से प्रतिभागिता की है.
२ अक्टूबर १९७६ में जन्मे रोमिल 18 साल की उम्र में भारतीय सेना में भरती हुए. वे आज की अपनी सारी सफलताओं और माउन्ट एवरेस्ट के पर्वतारोहण अभियान नेतृत्व के पीछे भी सेना को श्रेय देते है. वे आज भारत के शीर्ष पर्वतारोहण कम्पनी “बूट्स & क्रेम्पोन्स” (B&C), के संस्थापक है
रोमिल राष्ट्र रक्षा अकादमी पुणे से स्नातक है. शैक्षणिक प्रदर्शन के दौरान वे कई पर्वतारोहण अभियान में असफल रहे, पेराट्रूपर बनना चाहते थे पर असफल रहे. लेकिन उन्होंने हिम्मत व् हौसला बनाये रखा. एम् टेक ( आई आई टी खडगपुर ) के दौरान उन्होंने खुद को पहचाना, कड़ी मेहनत से स्वयं को तैयार किया. अपने आत्मविश्वास को बनाये रखा. उनके पत्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों व् मेग्जींस में प्रकाशित भी हुए. इसी दौरान रोमिल ने लंबी दूरी की दौड़, 10 किमी, हाफ मैराथन, मैराथन, साइकिलिंग सुपररेंडोन्यूर , हाफ आयरनमैन, राफ्टिंग इत्यादि में महारत हासिल की.
उपलब्धियां:
· रोमिल बड़थ्वाल ने 2017 में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बोस्टन मैराथन में भागीदारी की.
· ला अल्ट्रा, सुमुर से लेह तक वाया खारदुंगला पास (3500 मीटर की ऊँचाई पर) से सबसे कठिन उच्च ऊंचाई वाला अल्ट्रामैराथन है। रोमिल ने इसमें 111 किमी दौड़ के लिए गैर-लद्दाखी श्रेणी में टीम कप्तान और रिकॉर्ड धारक हैं।
· नई दिल्ली स्टेडियम रन में 185 किमी की दूरी तय की
रोमिल पर्वतारोहण अभियानों में एक टीम लीडर के रूप में, टीम के सदस्यों की सुरक्षा के नाते, पर्यावरण सरंक्षण, राष्ट्र के सम्मान को स्वयं के हितों से पहले रखते है। रोमिल कहते है कि माउंट एवरेस्ट के लिए, अपने मिशन के लिए मैं इस हद तक तैयार था कि अगर मैं उंगलियां या पैर की उंगलियों को खो देता तो भी परवाह न करता. रोमिल आज अपनी कम्पनी के द्वारा अनेको पर्वतारोहण के इच्छुको को ट्रेनिंग देते व् अभियान चलाते हैं. वे अफ्रीका, अर्जेंटीना, रूस, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और भारत में कई अभियान चलाते हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल रोमिल, मैरून बेरेट वाला पैराट्रूपर, ओपी विजय और कारगिल का हिस्सा थे और कई वर्षों बाद उन्हें 2019 में साहसिक खेलों में उत्कृष्ट योगदान के लिए 'द ईएमई ब्लू अवार्ड' से अलंकृत किया गया।
दो पुत्रियों ( १० वीं व् ५ वीं की छात्रा) के पिता रोमिल आई आई एम्, लखनऊ से मेनेजमेंट स्नातक है. एक महान प्रेरक वक्ता ( लगभग 100+ सभाए) और कई फिटनेस के लिए एक रोल मॉडल भी है. वे अपने माता पिता के साथ द्वारिका दिल्ली में रहते है. आजकल वे नेपाल में पर्वतारोहण अभियान के साथ हैं.
हमारी ओर से रोमिल बड़थ्वाल व् परिवार को ढेर सारी शुभकामनायें.