Flying bat in a marquee
Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

रविवार, 31 मई 2009

उनकी नज़र के दीवाने है



उनकी नज़र के दीवाने है

बस दीदार को तरसते है

आँखे बरबस उनको ढूंढती है

वो देखकर भी गुम हो जाती है


तन्हाई उनको पसंद है

मुझे उनका साथ पसंद है

यकीं है हमे कुछ ये भी

दिल में है कुछ उनके भी


छुप कर हमें खोजती है

खोज कर कुछ सोचती है

जाने क्या वो सोचती होगी

ढूढने के बहाने खोजती होगी


ये सफर रुकने न देंगे

यूँ ही हम चलते रहेंगे

ना जाने किस मोड़ पर

वो बन जाए हम सफर


(यह रचना भी मेरे दुसरे ब्लॉग सी ली गई है )


- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

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