उनकी नज़र के दीवाने है
बस दीदार को तरसते है
आँखे बरबस उनको ढूंढती है
वो देखकर भी गुम हो जाती है
तन्हाई उनको पसंद है
मुझे उनका साथ पसंद है
यकीं है हमे कुछ ये भी
दिल में है कुछ उनके भी
छुप कर हमें खोजती है
खोज कर कुछ सोचती है
जाने क्या वो सोचती होगी
ढूढने के बहाने खोजती होगी
ये सफर रुकने न देंगे
यूँ ही हम चलते रहेंगे
ना जाने किस मोड़ पर
वो बन जाए हम सफर
(यह रचना भी मेरे दुसरे ब्लॉग सी ली गई है )
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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