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Barthwal's Around the World

> आशा है आपको यहां आ कर सुखद अनुभव हुआ होगा

गुरुवार, 28 मई 2009

जिंदगी का आईना


जिंदगी का आईना
हर वक्त बदलता है
आईने के सामने
बनाते बिगाड़ते चेहरे
कल के चेहरे में
आज का रंग भर देते हैं
कल की पहचान बना देते है

आईना झूठ नहीं कहता
चेहरे का सच हम जानते है
फिर भी कल को छोड़
कल को देखते है
आज की तस्वीर बनाते है
कल को बदलने की चाह में

आइने में आज संवारते है
आईने की सच्चाई
मन में फ़िर भी रहती है
झूठ को कचोटती है
लेकिन सच को छुपाती है
फिर आँखे मूँद सपने सजते है
प्रशन भी आज उठते है
हकीकत किस से छिपा रहे हैं?


- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
( यह रचना भी मेरे दुसरे ब्लॉग से ली गई है )

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