हम काफी वयस्त है। हम अपने दैनिक कार्यो में इतने वयस्त है की शायद एक दूसरे को जानने पहचानने के लिए वक्त का आभाव अपने आप ही हमारे सम्मुख आ जाता है। या फ़िर जानभूजकर स्वयं को अपनो से अलग किए हुए है। कारण कई हो सकते है। समय, परिवार , कार्य या फ़िर स्वयं की उदासीनता जिसमे सव्यं का स्वभाव अहम् भूमिका निभाता है। लेकिन अपनों से जुड़ना ,उनके बारे में जानना और उनसे सम्बन्ध जोड़ना आपके जीवन में एक नया मोड़ ला सकता है। एक दूसरे के आचार विचार जानकर आप जिंदगी को नए ढंग से जीना सीख सकते है। कौन किस तरह से देश, समाज और परिवार में किस तरह से सहयोग करता है या करना चाहता है। यह जानकर भी आप अपने को बदल सकते है या अपने विश्वाश को और मजबूती से जीवन में ढाल सकते है। और अपने विचारो को अपनो तक पहुँचा सकते है।
हम सभी किसी न किसी मोड़ पर हम एक दोस्त बनाते है या फिर कोई रिश्ता जोड़ते है। यदि इस राह में हम अपनों से ही जुड़ जाए तो परिवार सा अनुभव होगा ऐसा मेरा मानना है। इसी प्रयास में सभी बड़थ्वाल लोगो से जुड़ने और जोड़ने की कोशिश कर रहा हूँ। वयव्साय होने के कारण समय की मजबूरी मेरे साथ भी है लेकिन फ़िर भी चाह अपनों की खींच लाती है यहाँ। शुक्र है की आज के तकीनीकी दुनिया में अपनी इस चाह को बढ़ाने में आसानी हो गई वरना कैसे आप लोगो से जुड़ पाता। अगर आप लोग भी इसी तरह की सोच रखते है तो आए साथ चले और अन्य बड़थ्वाल को भी आम्नत्रित करे इस यात्रा में।
बडो को प्रणाम और बाकी सभी को प्यार
आपका अपना
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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